मै तुम्हें ढूंढती
मै तुम्हें ढूंढती
मैं हर जगह तुम्हें ढूंढती
सोचती तुम ऐसे दिखते होंगे
जाने कैसे दिखते होंगे
जब तुम मिलोगे
तुमसे बहुत बात करूंगी
जो बात नहीं कह नहीं पाई
उस बात की खुद से शिकायत करुंगी
जब भी फोन हाथ में लेती
बार-बार तुम्हारा नाम लिखकर
तुम्हें खोजती रहती
सोचती पता नही तुमने
अपनी तस्वीर भी लगाई या नहीं
मैं तुम्हें पहचान पाऊंगी या नहीं
जाने कितनी बार
तुम्हारा नाम मैंने खोजा होगा
आखिर एक दिन
तुम मुझे मिले
लेकिन जैसे वक्त बदला
तुम तो उस वक्त से भी ज्यादा बदल गए
या जितना मैंने तुम्हारे बारे में सोचा
उतना तुमने मुझे सोचा ही नहीं।