कौन जान पाया है
कौन जान पाया है
रेत के साहिल को देखकर,
कौन जान पाया है कि, समंदर कितना गहरा है,
मुस्कुराते चेहरे को देखकर
कौन जान पाया है कि, राज दिल में कितना गहरा है।
रोशनी से चमकती रातों के पीछे,
कौन जान पाया है कि, अंधेरा कितना गहरा है।
ये जो आंखें दिन रात सपने देखती हैं,
कौन जान पाया है कि, इनके पीछे कुछ बंदिशों का पहरा है।
ये जो सुंदर दरिया बह रहा है,
कौन जान पाया है कि, इसका पानी कहां जाकर ठहरा है।