मां
मां
सबसे सच्ची प्रीति लिखूंगा
माँ पर कोई गीत लिखूंगा ।
वही प्रार्थना वही वंदना
वही नमन है ध्यान वही है
सृजन वही है वही साधना
वही ज्ञान विज्ञान वही है
सर्वोपरि वह सकल सृष्टि में
उसको परम पुनीत लिखूंगा ।
आस वही विश्वास वही है
प्रकृति वही है वह देवी है
वही भक्ति है वही प्रेम है
वही जगत की कुल देवी है
रज चरणों को लगा माथ पर
उसकी पावन रीति लिखूंगा ।
शब्द वही है वही व्यंजना
शिल्प वही है भाव वही है
प्राण वही है रूप वही है
अर्थ वही समभाव वही है
झरनों नदियों की कल कल वह
उसको मै संगीत लिखूंगा ।