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Krishna Bansal

Inspirational

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Krishna Bansal

Inspirational

उदासी भाग जाएगी

उदासी भाग जाएगी

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उदास क्यों बैठे हो, भई।

 

चेहरा क्यों लटका रखा है 

किसी ने धोखा दिया क्या? 

व्यापार में घाटा खाया क्या? 

बॉस ने डांट लगाई 

किसी ने चोट पहुंचाई 

कुछ बुरा घट गया क्या?

मान लिया कुछ हुआ है,

तो? 


निकलो, 

उदासी से बाहर निकलो

घूमने चले जाओ 

प्रकृति के साथ जुड़ो

पार्क में किसी बेंच पर बैठो।

सामने देखो 

इतने सुंदर फूल 

फूलों से महकती सुगन्ध

उन पर नाचती तितलियां।

झूला झूलते प्यारे बच्चे

कलरव करते पक्षी। 

हरी घास

हर तिनके पर छोटी कली

घास पर बैठो न, 

आलती पालथी मारकर, 

घास की ठंडक महसूस करो उदासी भाग जाएगी।


उठाओ कोई पुस्तक 

गद्य पद्य किसी भी विधा में

रम जाओ

बह जाओ कविता के भावों के साथ 

एकरस हो जाओ पात्रों के साथ 

किसी लेख पर 

मनन आरंभ करो 

उदासी भाग जाएगी।

 

संगीत में दिलचस्पी है अगर

मनपसन्द ट्यून लगाओ  

कंठ या वाद्य संगीत 

कुछ भी। 

बस सुनते जाओ,

सुनते जाओ 

दो सुरों के बीच के अंतराल तथा

उसकी चुप्पी को महसूस करो उदासी भाग जाएगी।


और न सही

पेण्ट कलर्ज़ उठा लो 

शुरू हो जाओ 

कैनवस पर।

कुछ तो उभरेगा 

आपने एक पत्ता भी 

पेण्ट कर डाला 

आपका अन्तर्मन प्रसन्नता से 

भर जाएगा

उस प्रसन्नता को महसूस करो उदासी भाग जाएगी। 


अरे भई,

उपरोक्त कुछ भी 

पसन्द न आया हो तो 

जो भी शौक है आपके

उसमें से एक उठा लो 

चंद मिनटों तक उसी का

अनुगमन करो,

उदासी भाग जाएगी।


उदासी रोधक कुछ भी करें

उदासी भाग जाएगी

जैसे रोशनी होते ही 

अन्धेरा भाग जाता है।



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