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Sameer Khan

Tragedy

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Sameer Khan

Tragedy

एक वृक्ष की प्रार्थना

एक वृक्ष की प्रार्थना

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ना काट मुझे ना,छांट मुझे तू,

ना आपस मे बांट मुझे तू,

ना ही धर्मो से गाठ मुझे तू,

मेरा बस एहसान है तुझ पर,

आखिर मैं एक जीव तो हूँ।


मुझे उगाकर फिर क्यों डूबता ,

मुझे जल देकर फिर क्यों पनपता ,

मुझे अपने जीवन मे फिर क्यों लाता,

मेरा बस यह प्यार है तुझ पर,

आखिर मैं एक जीव तो हूँ।। 


ना बैर ना ही किसी से गिला करता हूं

ना धन ना ही भूमि की चिंता करता हूं,

क्या हिन्दू क्या मुस्लिम सबको में भाता,

मेरा बस यह पहचान है तुझ पर,

आखिर मैं एक जीव तो हूँ।।। 



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