मेरा प्रयास
मेरा प्रयास
कदम कम पड़ गए
पर मंज़िल नजदीक था
हथेली में था चिंगारी
जो सुलगने को तरस रहा था
जब हुई लहू से लथपथ भूमि
जैसे वहां बहा गंगा नदी था
स्मृति भी खो दिए थे सब
लफ्ज़ पर आज़ादी का नाम था
छलनी हो गया सीना सबका
पर हौसला अभी भी बुलंद था
लहरा दिया झंडा अपना
जो तिरंगा भारत का था।