लम्हा बीत जाता है
लम्हा बीत जाता है
जीवन में होता है सदा लम्हा का फिसल जाना।
जीवन में जो उठता है, उसका होता गिर जाना।
पलभर में है बुझ जाना पलभर में खिल जाना,
मानव जन तो धरती पर जैसे हो खेल-खिलौना।
वन तेरा ऐसे बन्दे जैसे भू पर बिछा बिछोना,
राका खाली ढेर है बंदा झट में ही ढह जाना।
सागर की लहरों के संग पल में वो बह जाए,
जहाँ जिसका मन करे वहीं पर उसका रह जाना।
जहर सा बन तन पर लिपटे पल में मार गिराए,
उस इंसान का जीवित रहना है सीधा मर जाना ।
~VanyA~
