ये जीवन
ये जीवन
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आंसू का हर कतरा पन्नो पर छप जाएगा,
क्या करना बैर किसी से सब कुछ मिट जाएगा,
नफरत के सागर में तू गोल-गोल मंडराएगा,
आंखों से पर्दा तू हटा जल भी अमृत पायेगा,
जिस्मों से रक्त निकल कर तुझे यह बताएगा,
जग में तेरी कलाकृति को कोई न सुनना चाहेगा,
करके तू दिखा सब जन देखना चाहेगा,
फूलो की कली के जैसे कभी न तू मुर्झायेगा,
सांस में बस आस यूं ही भर जाएगा,
नूर देह से जल जैसे छलक जाएगा ,
अपनो से तू ओझल छड़ भर में हो जाएगा।