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Anshuman Mishra

Tragedy

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Anshuman Mishra

Tragedy

धूल भरी किताब

धूल भरी किताब

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बहुत दिन बाद साथ 

मेरे है धूल भरी किताब,

मुझे याद है 

ई बुक ने कब तुम्हारा

रोजगार छीना था ।

आज जब यादों के 

पन्ने पलटता हूं ,

तो आंखों का चश्मा 

कहता है कि 

'कुछ चीजें समय के साथ  

नही बदलती उन्हे 

वैसा ही छोड़ दें 

तभी इस किताब से धूल साफ होगी ' ।


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