धूल भरी किताब
धूल भरी किताब
बहुत दिन बाद साथ
मेरे है धूल भरी किताब,
मुझे याद है
ई बुक ने कब तुम्हारा
रोजगार छीना था ।
आज जब यादों के
पन्ने पलटता हूं ,
तो आंखों का चश्मा
कहता है कि
'कुछ चीजें समय के साथ
नही बदलती उन्हे
वैसा ही छोड़ दें
तभी इस किताब से धूल साफ होगी ' ।
