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Anshuman Mishra

Abstract

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Anshuman Mishra

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संभल

संभल

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समय समापन का नहीं,

आज पंथी उठ पाया नहीं

पंछी की आवाज सुन ,

कालिमा है छाई चतुर्दिक् ।


अब उस सोए पंथी को कौन समझाए

 दूसरों के नीड़ में अपने बच्चे पालना

'बहुसंख्यक कौओं का नहीं 

अल्पसंख्यक कोकिल का शौक है।' 


 कौए की आवाज़ सुन 

सोया पंथी आज भी है ।

 पूछता है कौआ पंथी से 

' धर्म अपना भूल गए? 

इस कालिमा में डूब गए?'



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