संभल
संभल
समय समापन का नहीं,
आज पंथी उठ पाया नहीं
पंछी की आवाज सुन ,
कालिमा है छाई चतुर्दिक् ।
अब उस सोए पंथी को कौन समझाए
दूसरों के नीड़ में अपने बच्चे पालना
'बहुसंख्यक कौओं का नहीं
अल्पसंख्यक कोकिल का शौक है।'
कौए की आवाज़ सुन
सोया पंथी आज भी है ।
पूछता है कौआ पंथी से
' धर्म अपना भूल गए?
इस कालिमा में डूब गए?'