एक वादा
एक वादा
सोने की चिड़िया था भारत अपना
फिर आए, व्यापारी बन अंग्रेज छली
उन्होंने तब वर्षों भारत पर राज किया
अपनी नीतियां चलाईं
भारत का धन ढो-ढो ले गए विलायत में और भारत को बर्बाद किया
वे शासक नहीं ,महज शोषक थे
जाते-जाते जिन्ना को देकर पाक हमें नासूर दिया
हम लड़े मरे अनगिन वीरों ने शहादत दी
कितनों ही ने आंदोलन में भाग लिया
ब्रिटिश राज का अंत हुआ , अंग्रेज गए
पर क्या यही स्वतंत्रता ?
जी नहीं , शहर वह नहीं कि जिसका सपना था
जब तक बनते नहीं हम हृदय से स्वतंत्र है नहीं देश में लोकतंत्र
इसे हमारी नई सोच और कर्मों ने ही इस मुकाम तक पहुंचाया है
ऐसे ही आगे बढ़ना है
न खुद झुकना हैं ,नहीं तिरंगे को ही झुकने देना है ।
