राष्ट्रप्रेम गीत (22)
राष्ट्रप्रेम गीत (22)
दुश्मनी पड़े महंगी ,
जरा सोच के करना।
दोस्ती दिल में रहनी ,
न सोच के करना।।
दुश्मनों के सिर कटाये हैं,
तोबा न ही करना।
दोस्ती में हम कटे हैं ,
परवाह ही न करना।।
दुश्मनों के बने काल हैं ,
रहम ना ही करना।
दोस्ती में हम समाये हैं ,
चिंता ना ही करना।।
दुश्मन जो शरण आये हैं,
जाके भेंट करना।
अपनाया सदा उनको ,
अनजाम जो हो बरना।।
