लहजा
लहजा
हे मानव
चाहे कितने भी सफलता के
शीर्ष पर चढ़ते जाओ तुम
कभी भी अपने जमीन के
जुड़ाव को ना छूटने देना तुम
हे मानव
अपने लोगों से नाता न तोड़ना
सबसे मिल-जुलकर रहना तुम
कितना भी बदल जाओ मगर
कभी अपना लहजा न बदलना तुम
हे मानव
इस संसार में कुछ अच्छा करके
सम्पूर्ण आकाश पर छा जाना तुम
जीने का अंदाज बदल जाये मगर
कभी भी अपना लहजा न बदलना तुम
