सपने
सपने
चाहे कितनी भी हों कठिनाइयां
राह में कितनी भी हों वीरानियाँ
इस दुनिया में अगर आये हो तो
आएंगी दुख-सुख की परछाइयां
रब पर अगर भरोसा रखा है तो
पल में मिट जायेंगी रुसवाइयाँ
छूट जायेंगे पीछे तुम्हें दबानेवाले
आगे बढ़ते और चलते चले जाओ
सपने को सच करने की चाहत है तो
चाहत का जुनून कम नहीं होने देना
मंजिल दूर नहीं कहती हैं सरगोशियां
