STORYMIRROR

Anshuman Mishra

Abstract

4  

Anshuman Mishra

Abstract

स्वतंत्रता की ज्योति

स्वतंत्रता की ज्योति

1 min
12


15 अगस्त की सुबह सुनहरी,
ले आई गौरव की कहानी।
सन् सैंतालीस की वह घड़ी,
जब टूटी वर्षों की बेड़ियाँ पुरानी।।

नेहरू, गांधी, भगत, सुभाष,
जिनके नामों से रोशन इतिहास।
आज़ादी के उस पावन क्षण में,
गूँजी थी जन-जन की आवाज़।।

खून से सींचा चमन हमारा,
हर फूल में है बलिदान की गंध।
आज जो लहरा रहा तिरंगा,
उसमें बसी है जन-मन की छंद।।

कभी ना झुकने की कसमें खाईं,
कभी ना थकने का लिया प्रण।
वीरों की इस पुण्य-धरा को,
नमन करे हर भारतवासी जन।।

आज स्वतंत्र हैं हम लेकिन,
कर्तव्यों को मत भूलो तुम।
स्वतंत्रता केवल अधिकार नहीं,
एक जिम्मेदारी है जन-जन की सुम।।

चलो मिलकर प्रण ये लें,
भारत को फिर महान बनाएँ।
भ्रष्टाचार, भेदभाव से ऊपर,
इंसानियत का दीप जलाएँ।।

जय हिंद!
वंदे मातरम्!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract