मिट्टी का जेल
मिट्टी का जेल
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फूल खिला है गमले में
लगता है, बेबस और लाचार
चाहता है खेलना ,पर
गमला छोटा पड़ जाता है ।
आखिर साहब का पसंदीदा जो है,
तो बाहर कैसे जा सकता है !
खुद तो घर में दुखी बैठा है,
पर बाहर दोस्त उसके
आंगन में खेल रहे हैं ।
कभी-कभार अपने मित्रों से
वह फूल इच्छा जाहिर करता है,
'खुले आकाश को देखने की'।
लेकिन उसे मिला तो क्या ?
बस मिट्टी का जेल !
