मसला कैसे आसान करूँ
मसला कैसे आसान करूँ
दर्द ए दिल किससे बयान करूँ
इलाज ए मर्ज या जान क़ुर्बान करूँ
फक़त तसल्ली से गम कमी नहीं होता
तुम ही कहो मसला कैसे आसान करूँ
अक्सर रोती बहुत है ये मेरी आँखें
तू ही बता कैसे झूठी मुस्कान करूँ
बस में नहीं है आज जज्बात तेरे मेरे
कल की बातें कैसे दास्तान करूँ
जब तन्हाई ही इलाज लगने लगी
फिर महफ़िल पर क्यूँ एहसान करूँ
मरना तो है ही एक दिन सभी को
मुद्दा ये है जीवन को अब आसान करूँ
ज़िन्दगी शानदार बनानी थी मुझको
बिगड़ी किस्मत का क्या बयान करूँ
