STORYMIRROR

Tr Shama Parveen

Others

4  

Tr Shama Parveen

Others

इश्क़ जब बेहिसाब होता है

इश्क़ जब बेहिसाब होता है

1 min
225


इश्क़ जब बेहिसाब होता है

हिज्र भी लाजवाब होता है


तेरा चेहरा है बज्म मे ऐसा

जैसे गुल में गुलाब होता है


बात चुभती है उसकी अच्छी भी

जिसका लहजा खराब होता है


मां के दामन को याद करती हूं

सर पे जब आफताब होता है


भूल जाता है इंकेसारी जो

उसका खाना खराब होता है


जितना औरों पे तंज़ करता है

उतना वो बेनकाब होता है।


प्यार से देखता है जब कोई

रुख़ पे दिलकश शबाब होता है


बज़्म-ए-उल्फ़त में आज भी ऐ 'शमा'

आपका इंतेख़ाब होता है।



Rate this content
Log in