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Tr Shama Parveen

Classics

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Tr Shama Parveen

Classics

प्यार है ही नही ज़माने में

प्यार है ही नही ज़माने में

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प्यार है ही नही ज़माने में

क्यूं लगें हम उसे मनाने में

याद आने की कोशिशें मत कर

हम लगें हैं तुझे भुलाने में


इतना शक प्यार में नही अच्छा 

जान ले लोगे आजमाने में

इसकी ईंटों में है लहू मेरा

क्यूं लगे हो ये घर गिराने में


सामने आके कुछ कहो वरना

बात निकलेगी मुंह छुपाने में

ख़त्म कर दीजिए ये गुस्सा अब 

रात गुजरेगी क्या मनाने में


घर में शम्मा है रोशनी के लिए

क्यूं लगे हो इसे बुझाने में

लोग क्यूं इतना सोचते हैं शमा

मंजिलों का पता बताने में।


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