मुझे दिखा धुंधला सा, विकसित भारत का वो दर्पण। मुझे दिखा धुंधला सा, विकसित भारत का वो दर्पण।
शब्द को आकार दी जाती है कैसे बस...सीख रहा हूँ अभी शब्द को आकार दी जाती है कैसे बस...सीख रहा हूँ अभी
टूट जाएँ सभी रिश्ते न टूटे रिश्ता मानवता का। टूट जाएँ सभी रिश्ते न टूटे रिश्ता मानवता का।
नये क्षितिज पर सभी दिशायें टूटे मन को जोड़ रही हैं, नये फलक पर, नए राग से जटिल तंत्र को तोड़ ... नये क्षितिज पर सभी दिशायें टूटे मन को जोड़ रही हैं, नये फलक पर, नए राग से ...
औरों की सोच का वो ही जाने, हम तो बस अपने दिल की माने ! औरों की सोच का वो ही जाने, हम तो बस अपने दिल की माने !
शहरों में रहने का भी तिलिस्म टूट गया है लोग गाँव की ओर अब झुक गया हैं। शहरों में रहने का भी तिलिस्म टूट गया है लोग गाँव की ओर अब झुक गया हैं।