STORYMIRROR

Sampada Mishra

Inspirational

4  

Sampada Mishra

Inspirational

अभिनन्दन नव वर्ष तुम्हारा

अभिनन्दन नव वर्ष तुम्हारा

1 min
624

झिलमिल इन रौशन रातों में 

डूबा है पवन जग सारा,

अभिनन्दन नव वर्ष तुम्हारा!


नये वर्ष की नयी चाह में

जागी हैं कुछ नयी तरंगें,

नये चरण से, नयी राह में

हासिल हैं कुछ नयी उमंगें,

इस असीम नूतन सम्बल से

हर्षित है नभ में हर तारा

अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा!


नये क्षितिज पर सभी दिशायें

टूटे मन को जोड़ रही हैं,

नये फलक पर, नए राग से

जटिल तंत्र को तोड़ रही हैं,

विकसित होते नये तंत्र से

जन जन का है वारा-न्यारा

अभिनन्दन नव वर्ष तुम्हारा!


रहे सदा निर्विघ्न, अनवरत

राग प्रगति का गाया जाए

जाति, रंग, भाषा का बंधन

ढीला हो, जब कस ना पाए,

भटके मन के व्याकुल तन को

फिर समझो मिल गया किनारा

अभिनन्दन नव वर्ष तुम्हारा!


शिक्षा के अधिकारों से अब

कोई यहाँ नहीं हो वंचित,

सबके पढ़ने, औ बढ़ने की

जगे अलख विद्या हो संचित,

साक्षरता की दिव्य ज्योति से

चढ़े खुशी का हरदम पारा

अभिनंदन नव वर्ष तुम्हारा!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational