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Sampada Mishra

Tragedy Inspirational

4.8  

Sampada Mishra

Tragedy Inspirational

देश तुम्हें पुकार रहा

देश तुम्हें पुकार रहा

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तिमिर छाँटकर सूर्योदय अब

अपने पाँव पसार रहा है,

गणतंत्र दिवस पर वीर तुम्हें अब

अपना देश पुकार रहा है।


स्वार्थों की हम भेंट चढ़ गए

भय के ही जब हेतु बन गए

पीड़ाओं की नदी बहाकर

कष्टों के जब सेतु बन गए

थके थके हर संवेदन को

फिर से खड़ा निहार रहा है

गणतंत्र दिवस पर वीर तुम्हें अब

अपना देश पुकार रहा है।


नारी की अस्मिता रो रही

जीना भी दुश्वार हो रहा,

कुछ लोगों की लिप्सा से ही

कितना कठिन प्रहार हो रहा

दुर्जनता से यहाँ अनवरत

लड़ते लड़ते हार रहा है

गणतंत्र दिवस पर वीर तुम्हें अब

अपना देश पुकार रहा है।


विषमता हुए इस घोर दौर में,

धर्म, जाति सब अस्त्र बन गए,

दरकिनार कर राष्ट्रहितों को

भाषाओं के शस्त्र बन गए,

उन्मादी हर दशा-दिशा में

केवल भ्रष्टाचार रहा है

गणतंत्र दिवस पर वीर तुम्हें अब

अपना देश पुकार रहा है।



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