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Anandbala Sharma

Abstract

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Anandbala Sharma

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रिश्ते

रिश्ते

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रिश्ते जो जन्मे

खून से दर्द से                

रिश्ते जो पनपे

साथ साथ रहने से 

समरस जीवन जीने से। 


रिश्ते जो फूटे उंगली

पकड़ कर साथ चलने से 

सहारा देने से, सहारा बनने से 

रिश्ते जो हुए पैदा घृणा,

दहशत और व्यभिचार से 

 नफ़रत और अत्याचार से।

                 

रिश्ते जो झलके आँखें चार होने से                 

पहली नज़र में प्यार होने से 

रिश्ते जो भटक गए

मंजिल से पहले राह में 

मुकाम पाने की चाह में 

रिश्ते जो बिखर गए

आरोपों की बौछार से 

विरोधों की धार से। 


रिश्ते जो हुए विकसित

हमदर्दी की सूरत में 

स्नेह और करुणा की भूख में 

रिश्ते जो टूटे लोभ में, लालच में 

कम देने, अधिक पाने में 

टूट जाएँ सभी रिश्ते

न टूटे रिश्ता मानवता का।          


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