पुकार
पुकार
बहनों!
मत बाँटो स्वयं को
जाति, धर्म और भाषा
की दीवारों में
रिश्तों की ऊँच-नीच में
तुम चाहे जो भी हो
शिक्षित हो या अशिक्षित
शहरी हो या ग्रामीण
धनी हो या निर्धन
दलित हो या सवर्ण
तुम्हारा दुख केवल एक ही है
अपने अस्तित्व के संकट का दुख
धर्म, कानून और समाज
द्वारा प्रताड़ना का दुख
असुरक्षा के घेरों में
घिरे रहने का दुख
बहनों, अपने इस दुख को
रहने दो अखंडित
संसार की समस्त नारियों
एक हो जाओ
पहचानो अपनी क्षमता को
सामना करो
अपने शोषण का, समाज का
संघर्षरत होकर, निरंतर
स्थापना करो
सहयोग, सद्भावना और शांति की
शक्तिपुंज बनो
और पा लो
आकाश की अनंत ऊँचाइयाों को।