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Anandbala Sharma

Abstract

4  

Anandbala Sharma

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सड़क

सड़क

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यह सड़क है

जो खुद कहीं नहीं जाती 

पर सबको मंजिल तक है पहुँचाती।


इस सड़क पर

बच्चे खेलते हैं आनन्द मग्न

बेधड़क अपना घर समझ कर

पर समझ लेने भर से

सड़क किसी का घर नहीं हो जाती 


यह सड़क अविचल चुपचाप 

सिर्फ सुनती है पदचाप 

महसूस करते हुए कि

किसका सुखमय है संसार 

कौन है निराश्रित बेघरबार

जिनके थके हुए कदमों से

सड़क की सूखी हुई धूल 

और भी है सूख जाती 

;


इस स्थिर सड़क पर

कोई टिक कर नहीं रहता

सड़क केवल सुनती है

अधूरे गीत, अधूरी आशाएँ

अथूरी हँसी, अधूरी कल्पनाएँ

अथूरेपन की पीड़ा 

सदैव रहती है सालती


चिर अभिशापित है यह सड़क 

एक करवट सोने के लिए 

चिरकाल तक अहिल्या की तरह 

पर मुक्तिदाता की प्रतिक्षा में

आँखें केवल हैं पथरा जातीं।


यह सड़क है

जो खुद कहीं नहीं जाती ।

पर सबको मंजिल तक है पहुँचाती।



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