इंसान तो सभी बराबर हैं
इंसान तो सभी बराबर हैं
इंसान तो सभी बराबर हीं हैं,
पर बर्ताव में बहुतेरे जानवर है !
खुद को कहते विकसित हैं,
पर दिमाग से तो कुत्सित है !
हम बड़े हैं कि वो बड़ा है,
यही सबसे बड़ा लफ़ड़ा है !
कहीं न कहीं विचार से कुंठित हैं,
तभी तो इस रोग से ग्रसित है !
पर्याप्त है फिर भी और चाहिये,
ज्ञात भी नहीं कितना चाहिये !
औरों की सोच का वो ही जाने,
हम तो बस अपने दिल की माने !