लक्ष्य पाने का मर्म
लक्ष्य पाने का मर्म
उम्र सारी गुज़र गयी
लक्ष्य के पीछे दौड़ते,
जवान से बूढ़े हो गये
लक्ष्य पूरा करते-करते!
पीछे बहुत कुछ रह गया
लक्ष्य करते-करते,
ना माया मिली ना राम
लक्ष्य करते-करते!
सुबह से शाम कुछ लोग
दिखे सिसकते,
नौकरी गँवाने के डर से
कुछ भी नहीं कहते!
ऊपर बैठे लोगों के
दिल नहीं पसीजते,
क्योंकि ये लोग सिर्फ
अपनी जेबें भरते!
ऊँचे पद पाने की
ललक दिल में रखते,
कुर्सी मिल गई तो
सिर्फ अपनी ही देखते!
राजनीतिज्ञों को लोग
यूं ही बदनाम करते,
ये लोग तो दिखते
उन्हें भी पीछे छोड़ते!
देखा गया है इनको
भाषण से शासन करते,
अपने चमचों को उठाते
बाकियों को गिराते!
अधीनस्थों के सामने
बड़े तानाशाह बन जाते,
और ऊँच-पदासीनों के
तलवे रहते चाटते!
जाने क्यों लोग इनके
झूठे गुरूर तले पलते,
जाने क्यों नहीं इनको
मुंह-तोड़ जवाब देते!
