जीवन को आकार, हमारी माँ ही सृजनहार। जीवन को आकार, हमारी माँ ही सृजनहार।
मानवता की रास थामकर, उस पर प्रेम आरुढ़ कराकर। भाईचारे के अश्वों को, नैतिकता का पाठ पढ़ाकर।। समता-म... मानवता की रास थामकर, उस पर प्रेम आरुढ़ कराकर। भाईचारे के अश्वों को, नैतिकता का ...