धीमी ठंडी रातों में तुम सिमट से जाओगे धीमी ठंडी रातों में तुम सिमट से जाओगे
जनता को गुमराह बनाकर हजम कर जाते तुम नल्ले जनता को गुमराह बनाकर हजम कर जाते तुम नल्ले
वह भी तेरा तलबगार है उससे भी तेरा इंतज़ार है अँधेरे कहाँ है रास्ते सुलग रही अब तुझमें भी वह ख... वह भी तेरा तलबगार है उससे भी तेरा इंतज़ार है अँधेरे कहाँ है रास्ते सुलग र...
हर पल रहे दोस्त बनकर पास कभी ना होने दें गुमराह हर पल रहे दोस्त बनकर पास कभी ना होने दें गुमराह
मासूमियत झलकती निगाहें तेरी, मासूमियत भरा मेरा हर इक ख़्वाब था, मासूमियत झलकती निगाहें तेरी, मासूमियत भरा मेरा हर इक ख़्वाब था,
शब्दोंं का जिवन में क्या महत्व है, इन्हीं बातों को बताती है ये कविता शब्दोंं का जिवन में क्या महत्व है, इन्हीं बातों को बताती है ये कविता