दिल की लेखनी
दिल की लेखनी
1 min
251
बचपन से हुआ लेखनी का आगाज़
कागज़ कलम दवात का
कोरे पन्नों में अल्फ़ाज़ का
पढ़ाई-लिखाई के साथ ही साथ
संजोए आत्मा के हर जज़्बात
जिंदगी का बेहद कीमती अभ्यास
हर पल रहे दोस्त बनकर पास
कभी ना होने दें गुमराह
संज्ञान रूप में रहे सदा
बढ़ाए सम्मान के साथ
हमारा परिपूर्ण आत्मविश्वास
जिंदगी में कुछ ऐसे भी पल जहां
राह में चलते हुए रह गए हों तन्हा
तू अपनी लेखनी के माध्यम से
नीले स्याही की कलम से
उकेर दे उन कोरे कागज़ों पर
अपनी आत्मा की आवाज़ को
जो एक सुंदर कविता रूप में
लुत्फ उठाये सारा जहां