कहीं शुरू कहीं खत्म- बेहतरीन सौगात
कहीं शुरू कहीं खत्म- बेहतरीन सौगात
ज़िंदगी की लहराती मदभरी हवाएं
कहीं शुरू होकर फिर लेती नया मोड़
कुदरत का करिश्मा ही कहिए जिसने
इतनी सुंदर ज़िंदगी हमें की प्रदान
इसका न हो पाया कहीं भी जोड़
हर उस चीज़ का ईश्वर प्रदत्त स्वरूप समझ
शुक्रिया अदा किजीए जनाब
प्रत्येक बख्शी हुई संपदा है खूबसूरत
उसका हरतरफ है महकता शबाब
राह में कई रंगीनीयत लिए आते रहेंगे पहलु
तदबीर से अपनी देकर अंजाम फिर हो जाना शुरू
तमाम ठोकरों को तू करता चल दरकिनार
तू सिर्फ एक राहगीर है तेरी न कोई पतवार
रख धीरज मत हो बेकरार
रूख हवाओं का बेहतरीन-सौगात देकर ही कहीं होगा खत्म!
