एकांत
एकांत
खुद में खुद को देखती हूं
खुद मैं खुद को सोचती हूं
फंस जाती हूं
अंतर्द्वंद में----
जब एकांत में होती हूं
इक नया युद्ध,
इक नया समर---
शुरू कहीं हो जाता है---
मन में भावनाओं का
झंझावात जब उमड़ आता है
कभी हारती हूं,
कभी जीतती हूं
करती हूं विश्लेषण खुद का-----
हासिल कुछ ना होता है,
अक्सर ही एकांत मुझे
अकेलेपन की ओर ले जाता है!!
कभी-कभी एकांत ---
बड़ा सुखदाई होता है--
रचता है कविताएं,
कभी नई कहानियां
रचता है-----
कभी-कभी यूं ही-----
दर्द में बिखर
दिल के फफोले फोड़ता है
सुखद और दुखद
दोनों कसौटियों पर ही
खरा उतरता है
अक्सर करता है वफा,
सच्ची दोस्ती निभाता है
ये एकांत----
मेरे अकेलेपन का----
सच्चा साथी बन जाता है।