हां मैं ऐसे ही हूं
हां मैं ऐसे ही हूं
पता नहीं मैं कैसे हूं,
पर जैसे हूं,
अपनी पति की सारी दुनिया हूं ...,
हां में ऐसे ही हूं ....।
कभी गाना सुनती हूं,
कभी खाना बनाती हूं ...,
कभी खुद की बच्ची को पढ़ाती हूं,
तो कभी स्कूल के बच्चे को पढ़ाती हूं ....,
कभी कुछ पंक्तियां लिख लेती हूं,
तो कभी सायरी भी लिखती हूं ...
,कभी रंगो से कुछ चित्र बनाती हूं,
तो कभी झोटी,चिता बनाती हूं ...,
कभी घर को संभालती हूं,
तो कभी बेटी और पति को संभालती हूं ....,
कभी घर की समान को समेट ती हूं,
कभी अपनी जिंदगी को सवारती हूं .....,
कभी दूसरों के लिए खड़ी होती हूं,
तो कभी खुद की मुसीबत से खुद लढ़ती हूं ....।
कभी गुस्सा करती हूं,
तो कभी शक्त भी बनती हूं ....,
पर जैसे भी हूँ,
अपने आप में निडर हूं,
ना खुद किसी के सामने झुकती हूं,
ना अपनी परिवार को झुकने देती हूं .....।
पता नहीं लोग क्या सोचते है,
पर में ऐसे ही हूं .....।
अपनी बेटी की दोस्त हूं,
अपनी पति की सारी दुनियां हूं ....,
हां में ऐसे ही हूं .....।