जीत का जज्बा
जीत का जज्बा
जीत का जज्बा हो मन में,
तो हार को मात देकर,
जीत को हार से छीन कर,
कदमों तले बिखरा दे।
जीत का जज्बा हो मन में...
पपीहे की पीहू पीहू,
बादलों को पिघलाकर,
हरियाले सावन को,
धरती पर बिखरा दे।
जीत का जज्बा हो मन में...
जीवन की अबूझ पहेली,
शब्दों के मायाजाल से,
प्रश्न का हल निकाल कर,
जीवन पथ पर बिखरा दे।
जीत का जज्बा हो मन में...
चकोर की अथक टकटकी,
अप्रतिम चंद्र रुप को,
मेघ की ओट से निकालकर,
नभ में चांदनी बिखरा दे।
जीत का जज्बा हो मन में...
स्तब्धता को चीरकर,
जज्बात की कूची बनाकर,
जीवन के कैनवास पर,
खूबसूरत रंग बिखरा दे।
जीत का जज्बा हो मन में...
शब्दों को आकार दे,
जीवन दृष्टिकोण को,
गीत छंद व गजल बनाकर,
कोरे कागज पर बिखरा दे।
जीत का जज्बा हो मन में...