उद्देश्य यही रामायण का है
उद्देश्य यही रामायण का है
उद्देश्य यही रामायण का है
न केवल मंचन
न केवल अभिनय,
न केवल गाथा
ये है विनम्र विनय
अपनी धारा को फिर स्वर्ग बनाये,
कलियुग में त्रेतायुग को ले आयें।
आदर्श समाज का हो निर्माण
माता-पिता, गुरु का हो सम्मान,
समाज न हो कलुषित निरंतर
मिटे धनी-निर्धन का अंतर ।
अपराधों का हो जाये अंत
अनाचार, अत्याचार का हो विध्वंश
प्राचीन मूल्यों को हम अपनाये,
चलो सब राम में रम
राम मय हो जाएं।
क्यों प्रताड़ित होती आज है नारी
दहेज, बलात्कार, अपमान से हारी,
चलो सीता सी शक्ति दिखलायेँ
गरिमामय नारी की शक्ति बढ़ाएं।
हर युवक में पुरुषोत्तम को दर्शाएँ
हर युवती में सीता को पायें
राम से पुत्र हों, लक्ष्मण से भ्राता
श्रवण सी सेवा पायें पितु-माता।
हर विद्यालय नालंदा बन जाये
वशिष्ठ से गुरु ज्ञान फैलाएँ
तक्षशिला को न हम भूलें
बालमंदिर की कीर्ति बढ़ाएँ।
भारत वर्ष का अनुपम इतिहास
ज्ञान गुरु बन फैलाएँ प्रकाश
वसुधेव कुटुंबकम को हम सब माने
आध्यात्म को समझे और हम धारें ।
उद्देश्य यही रामायण का है
न केवल मंचन
न केवल अभिनय,
न केवल गाथा
ये है विनम्र विनय
अपनी धारा को फिर स्वर्ग बनाये,
कलियुग में त्रेतायुग को ले आयें।
