प्यार
प्यार
जब प्यार निभाना नही था,
तो प्यार जताया ही क्यों ...?
जब रुलाना ही था,
तो हसाया ही क्यों .....?
जब करीब लेना ही नही था,
तो अपना बनाया ही क्यों ....?
क्या करू में इन आंसुओं को ...?
कैसे समझाऊं इस दिल को ..?
कैसे बेहेलाओं में दिल को...?
कुछ तो बता ...
कैसे जिऊं में ....?
