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Priyadarsini Das

Romance

4  

Priyadarsini Das

Romance

अगर मैं कहूं

अगर मैं कहूं

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अगर मैं कहूं , 

मैं सिर्फ तुम्हारी हूं , 

तुम मान पाओगे क्या .....?

अगर...

मैं कहूं ...

मैं....

सिर्फ तुम्हारी हूं , तुम मान पाओगे क्या ....?


मेरे दिल की अनकही बातें को ,

तुम सुन पाओगे क्या ....


यूं तो लाखों बातें दिल की कोने पे 

दफनाई है मैने , 

अगर कभी उन बातों को मैं बता दूं ....,

तुम समझ पाओगे क्या ......?


यूं तो कभी रोती नहीं हूं , 

शक्त बन कर चलती रहती हूं , 

पर.....

अगर कभी आँसू निकल आए , 

तो तुम उसे संभाल पाओगे क्या .....?


अगर मैं कह दूं , 

मैं सिर्फ तुम्हारी हूं , 

तुम मान पाओगे क्या ......?


मन तो करता है 

मैं भी बन जाऊं कमजोर , दूसरे के तरह , 

मगर तुम्हारे खूसी के खातिर 

खुद को मजबूत कर लिया है मैने .......

पर कभी भी झुक गई तो .....

तुम मेरे साथ दे पाओगे क्या ......?


सपने तो बहत कुछ थी मन में , 

पर कुछ न मिला मुझे , 

फिर भी ....

फिर भी , 

तुम्हारी हसी देख कर सब भूल जाती हूं मैं.....,

बोलो ....

तुम हर पल ऐसे ही हसते रह पाओगे क्या .......?


वैसे तो दुनिया की भीड़ मुझे पसंद नही है , 

लोगो से बातें करना भी पसंद नही है , 

पर .......

पर न जाने क्यों तुम्हारी हर बातें 

बहत मीठी लगती है मुझे .....,

बोलो ना ....,

सारी उमर ऐसे ही बक बक कर पाओगे क्या ......?


हां अंदर से शांत हूं , 

पर बाहर से शक्त हूं , 

बहत जिद्दी हूं , 

गुस्सा भी करती हूं , 

फिर भी ....

अगर कोई मेरे खिलाफ हो जाए , 

तब भी तुम मेरे साथ दे पाओगे क्या ....?


अगर मैं कह दूं

मैं सिर्फ तुम्हारी हूं , 

तुम मान पाओगे क्या ....?

मेरे दिल की सारी अनकही बातें को 

तुम सुन पाओगे क्या ....?


हालत चाहे जैसे भी हो , 

तुम साथ दे पाओगे क्या ....?


अगर कभी मैं खो गई ,

तो .....

दुनिया की इस भीड़ में मुझे 

ढूंढ पाओगे क्या ....?


कोई मुझे समझे या ना समझे , 

तुम मुझे समझ पाओगे क्या .....?


बोलो ना .......

अगर मैं कभी कह दूं , 

मैं सिर्फ तुम्हारी हूं , 

तुम मान पाओगे क्या .......?


तुम मान पाओगे क्या ....?


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