मुझे बिखरना मना था
मुझे बिखरना मना था
जब हालात तुम्हारी खिलाफ हो,
जब कोई तुम्हारे दिल तोड़े,
जब तुम टूट जाते हो,
तो या फिर तुम बिखर जाते हो,
या फिर निखर जाते हो ....।
मुझे टूटना मना था,
टूट कर बिखर ना भी मना था,
कहीं चुप के से रो के आंखें लाल करना भी मना था .....।
सिर्फ इजाजत था तो निखारना,
हलादों से ऊपर,
तकलीफ से निकल कर,
खुद को संभाल कर,
सिर्फ और सिर्फ निखारना था ....।
अंदर की कौनसी अछायिया सामने आया, पता नहीं,
पर हां....,
मैने कभी टूटा नहीं,
कभी खुद को कमजोर बनाया ही नहींं, की
फिर से कोई आ कर मुझे तोड़ दे ......,
खुद को इतना संभाला,
की .....,
अब तो दूसरो को भी संभाल ने की हिम्मत आ गई .....।
इसीलिए तो
बिखर जाना मुझे मंजूर नही था ........।