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Priyadarsini Das

Tragedy

3  

Priyadarsini Das

Tragedy

माफ़ करना

माफ़ करना

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माफ़ करना , 

आज मैं मजबूर हूं , 

खुद की हाथों से 

और वक्त की हाथों से भी ...., 

ये....वक्त....

ये वक्त भी कितनी अजीब है ,

जब मिलाना था , 

तब दूर कर दिया ,

और जब दूर रहना है ,

तब मिला रही है ....।


ये वक्त भी 

कितनी अजीब है ......।


तब कुछ बनना था ,

कुछ सपने पूरी करनी थी , 

कुछ ख्वाहिशों को पंख लगाना था , 


सायद, 

सायद इसीलिए ....

तेरे प्यार मुझे दिखा नही , 

या , दिख कर भी 

मैने दिखा नहीं ......।


तू इसारा करता गया , 

मैं समझ कर भी 

ना समझ बनती रही , 


तू आखें मिलाने की कोशिश 

करता रहा , 

और मैं 

आंखे चुराने लगी ....., 


तू मिलने की बहाने ढूंढता रहा , 

और मैं तुझसे दूर रहने की बहाने ......।


फिर टूट गई तेरे सब्र की बांध , 

तू भी उम्मीद छोड़ दी , 

और.....

मैने भी कभी कोशिश नही की ,तुझे समझ ने की , 

कभी इजहार ही नहीं किया , 

ना दिल से अभी इनकार किया .....।


वक्त बदल गई , 


तू किसी और की , 

और 

मैं भी किसी और का .....।


फिर आज क्यों....?


आज क्यों .....

ये वक्त हमे दुबारा मिला रहा है , 

तू न कहता था , 

अगर वक्त ने मिलाया है , 

तो ये कायनात भी कुछ सोचा ही होगा , 


फिर भी ......

आज क्यों....?


जब दूर रहना है , 

तब मिला क्यों रही है ....?


ये वक्त भी कितनी अजीब है .....


जब मिलाना था , 

तब दूर कर दिया , 


और जब दूर रहना है , 

तब मिला रही है ....।


तब सपनो पंख देना था , 

आज अपनो को पंख देना है ..., 


तब खुद की उड़ान भरनी थी , 

आज अपनो की उड़ान को बल देना है , 


तब ख्वाहिशों को जिम्मेदारी थी , 

आज अपनो की जिम्मेदारी है ....,


माफ़ करना , 

मैं कल भी मजबूर थी , 

आज भी मजबूर हूं .....।


सायद कल होता , तो तेरे हात मैं थाम लेता, 

पर आज नहीं , 

आज मेरी हात किसी की सहारा बन गई है , 

कोई मेरे खातिर जी रहा है , 

कोई है जो मुझ बिन बेजान सी है , 

कोई है जिसकी मैं अब जरूरत बन गई हूं , 


कोई है जिसकी 

सुबह की पहली तस्वीर हूं में , 

रात की सुकून मैं हूं .....।


सायद

मैं मजबूर हूं , 

सायद

मैं ... भी इन जिम्मेदारियों को 

प्यार करने लगी हूं ....।


माफ़ करना .....

आज मैं मजबूर हूं ......,


माफ़ करना ....

मैं कल भी मजबूर थी , 

आज भी मजबूर हूं .........।


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