"भ्रष्टाचार रोधी दिवस" (9 दिसम्बर)
"भ्रष्टाचार रोधी दिवस" (9 दिसम्बर)
जगत बना है भ्रष्टाचारी।
किसे कहोगे कल्याणकारी।।
नियत में खोट मची है,
चारों ओर लूट मची है।
अगुवा हुआ अनिष्टकारी,
किसे कहोगे कल्याणकारी।
जगत बना -------------।।
दुखियों का अंदाज है,
न्याय भी गुलाम है।
शासन बेहिसाब है,
शोषण की भरमार है।
शरीफ जा रहे दुतकारी,
किसे कहोगे कल्याणकारी।
जगत बना ----------------।।
गुंडागर्दी चरम पर है,
न ही कोई धरम पर है।
अहंकार अनन्त पर है,
प्रेम-भाव नफरत पर है।
पनप रहे व्यभिचारी,
किसे कहोगे कल्याणकारी।
जगत बना -----------।।
रिश्वत में कर्म है,
कागज में फर्ज है।
स्वार्थ में मर्म है,
निलामी में धर्म है।
चारों तरफ है मारा-मारी है,
किसे कहोगे कल्याणकारी।
जगत बना -------------।।
