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Rajbahadur Yadav

Inspirational

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Rajbahadur Yadav

Inspirational

'बेटी हूं मैं'

'बेटी हूं मैं'

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बेटी हूं क्या चाह नहीं, मैं गौरव बनकर दिखलाऊं।

सजे रंगीले पंख लगाकर, मैं तितली सी इठलाऊं।।


जननी हूं विश्व सृजन की, रूप धरा का जो मैं पाऊं।

खिलकर फूल बगिया की, मैं घर आंगन को महकाऊं।।

दो कुल की मर्यादाा बनकर, सम्मानित मैं होती जाऊं,

बेटी हूं क्या चाह नहीं, मैं गौरव बनकर दिखलाऊं।।



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