"भारती के अनुपम रत्न"
"भारती के अनुपम रत्न"
मां भारती के दो लाल आए,
जो रत्न बनकर भारत में छाए।
दुर्लभ संघर्ष का वह क्षेत्र तांडव,
सबको मनोरम सा कर गए।।
कांटों में चलकर पंथ सजाया,
सत्य का सुंदर मार्ग अपनाया।
जीवन में बहुत कुछ झेलकर,
इस देश का परिवेश बनाया।।
गौरव रहे कर्तव्य परायण के,
जैसे रूप धरकर नारायण के।
शक्ति व भक्ति में लीन होकर,
दिखे विशाल तारायण के।।