जीवन का सार
जीवन का सार
मिट्टी की बनी काया अपनी,
मिट्टी में इसे मिल जाना है,
जीवन का यही है सार सही,
खाली आना और जाना है|
सुख जितने कमाए धरती पर,
या रो-रो कर रात गुज़ारी है,
चाहे महल में बिता जीवन तेरा,
या सड़कों से ही बस यारी है,
फ़ेर में इनके मत पड़ना,
ये साथ नहीं कुछ जाना है,
जीवन का यही है सार सही,
खाली आना और जाना है|
यहां अपना पराया कोई नहीं,
कुछ दिन का ये तो मेला है,
तू-तू, मैं-मैं मत कर पगले,
ये मोह की सारी निशानी है,
तूने जितना संजोया जीवन भर,
सब धरा यहीं रह जाना है,
जीवन का यही है सार सही,
खाली आना और जाना है||
