श्रेष्ठ विचार और संस्कार
श्रेष्ठ विचार और संस्कार
जग में श्रेष्ठ विचार और संस्कार
लाकर खुशी बढ़ाते अद्भुत प्यार।
जगत में होता अनवरत ही बदलाव,
आती है जड़ता यदि आया ठहराव।
गाड़ी तो होती है अक्सर नाव पर ही
शुरू में गाड़ी पर ही होती है नाव।
बदल जाए यह समूचा जग ही,
हर एक जन की मर्जी के अनुसार।
जग में श्रेष्ठ विचार और संस्कार,
लाकर खुशी बढ़ाते अद्भुत प्यार।
समर्पण-सेवा का विस्मृत करके भाव,
चाहता है हर जन ही निज अधिपत्य।
सकल जग तो लगता है अक्सर झूठा
एकमात्र होते हैं केवल हम ही सत्य।
अहम् झूठे का जो कर देवें हम त्याग,
धरा पर आ जाए शीतल प्यार बहार।
जग में श्रेष्ठ विचार और संस्कार
लाकर खुशी बढ़ाते अद्भुत प्यार।
बनावें हम खुद को सतत् ही उत्कृष्ट
न समझें हम दूजे को कभी कमतर।
मान देकर आप भी सम्मानित होंगे
उत्साहवर्धन की नीति होती है बेहतर।
शत्रुता का जनक होता है अक्सर दुर्भाव
और सुदृढ़ मैत्री भाव का स्नेहिल प्यार।
जग में श्रेष्ठ विचार और संस्कार
लाकर खुशी बढ़ाते अद्भुत प्यार।
वाणी से अक्सर हम बदल सकें न दूजा,
चिढ़ने सी होती सबको सुन करके उपदेश।
अंतर्मन बदलता है भावों की कर पहचान
निरर्थक बदलना है केवल बाहर का वेश।
बहेगा निर्मल प्रेम का शीतल सरित प्रवाह,
जब झंकृत होंगे मन मंदिर के बारे तार,
जग में श्रेष्ठ विचार और संस्कार
लाकर खुशी बढ़ाते अद्भुत प्यार।
