नफ़रत मिटायें मोहब्बत जगायें
नफ़रत मिटायें मोहब्बत जगायें
हवाओं में घुल रहा, नफरतों का जहर
गुस्से में उबल रहा, हर गांव और शहर
सबके चेहरों पर हैं, अजीब सी लकीरें
लगता है सब जाग रहे, आठों ही प्रहर
उम्मीद रखें किसी से, ये मुमकिन कहाँ
दुआएं देने में भी, टूटने लगता है कहर
हर कोई सींचता, दुश्मनी के पौधे यहाँ
नफरतों में सारा जीवन, जाएगा गुजर
उदासी है चेहरे पर, ख़ुशी गुम हो गई
आती नहीं ख़ुशी की, हल्की सी लहर
करो कभी तो, प्यार की बातें मेरे यारों
ना करो जीवन को, नफरतों पर बसर
एक कदम बढ़ाओ, मोहब्बत का तुम
होगा उन पर भी, उल्फत का असर
ये सारी दुनिया, बहिश्त बन ही जाएगी
प्यार मोहब्बत से, संग रहेंगे हम अगर
आओ थाम लें हाथ, एक दूजे का हम
बढ़ते चलें चुनकर, मोहब्बत की डगर
मिटा डालें नफ़रतें, अपने दिल से हम
प्यार से भर दें, अपना गांव और शहर
*ॐ शांति*
