उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी देना चाहता हूँ ,जो ... उबल रहा अब रक्त देश का ... इस कविता के माध्यम से मैं उन देश द्रोहियों को चेतावनी...
हर कोई सींचता, दुश्मनी के पौधे यहाँ नफरतों में सारा जीवन, जाएगा गुजर हर कोई सींचता, दुश्मनी के पौधे यहाँ नफरतों में सारा जीवन, जाएगा गुजर
तुम पानी से बचती भी रहतीं थी और थोड़ा थोड़ा भीगना भी चाहतीं थीसच कहूँ तो मिज़ाज-ए-जिंदगी भी कुछ वैसा... तुम पानी से बचती भी रहतीं थी और थोड़ा थोड़ा भीगना भी चाहतीं थीसच कहूँ तो मिज़ाज-...