STORYMIRROR

Satish Sharma

Inspirational

4  

Satish Sharma

Inspirational

सुख दुख

सुख दुख

1 min
338

सुख दुख बादल जैसे हैं

आते हैं और जाते हैं

ढंग भी कैसे कैसे हैं ,

सुख दुख बादल जैसे हैं


बैठे बैठे रात कट गई

रोते सोते  दिन बीता

दुख का पहरा है घर में

तो रस घट लगता है रीता

आँसू भरे नयन सागर के

रंग भी कैसे कैसे हैं ,

सुख दुख बादल जैसे हैं


करुण हृदय में दर्द भरा है

अश्रु नीर छल छल बहते

अनहोनी के साये में वे

मन की व्यथा कहाँ कहते

अपनों की पहचान हुई ये

संग भी कैंसे कैंसे हैं ,

सुख दुख बादल जैंसे हैं


गम की कट जाती हैं रातें

सुख का सूरज भी आता

नए उजालों के सपनों में

जीवन नया गीत गाता

धैर्य धरो जानो कुसमय के

तंग भी कैसे कैसे हैं ,

सुख दुख बादल जैसे हैं।

    



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational