कैसा ये आदमी
कैसा ये आदमी
कैसा ये आदमी का चलन आज हो गया ।
चूहे को चिन्दी क्या मिली बजाज हो गया।।
कल तक जो हाथ जोड़ वोट मांगता फिरा ।
अब जोड़ो उसके हाथ उसका राज हो गया।।
जिसके इशारे एक पर धन बरस जाता था ।
वो दाने दाने के लिए मोहताज हो गया ।।
हम घर के कवि लिखते रहे कविता रात भर ।
और सिद्ध बाहर का तुकबंदी बाज हो गया ।।
कौए की कांव सुनके मुर्गा बांग दे रहा ।
अब उल्लुओं को पूजने का रिवाज हो गया ।।
दूर ही रहना वो&nbs
p; बड़ा कलाकार है ।
उसका गुलाम राग ताल साज हो गया ।।
गीदड़ भी आज इतने हुनरदार बन गए ।
लेते हैं शेर मशविरा स्वराज हो गया ।।
वो खानदानी रईस था जो भूखों मर गया ।
ये जन्मों का हरामखोर था सरताज हो गया ।।
चुगली चपाटी करके कब तक पुजोगे तुम ।
दामन के कोढ़ मैं तुम्हारे खाज हो गया था ।।