न घबराएं न इतराएं
न घबराएं न इतराएं
मिलें मुश्किलें तो न घबराइएगा,
जो शक्ति मिले तो न इतराइएगा।
सदा एक सा तो समय है न रहता,
सरित धार सम यह बदलता है रहता।
बदले धूप-छांव सम ये समझ जाइएगा,
जो शक्ति मिले तो न इतराइएगा।
मिले शक्ति सब की ,ये होती है ख्वाहिश,
सभी अमृत हैं चाहें,न चाहे कोई विष।
हलाहल को पीकर शिव,बन जाइएगा,
जो शक्ति मिले तो न इतराइएगा।
सुख हो या दुख हो , समभाव रखिए,
सच्चे-झूठे रिश्तों को,दुख में परखिए।
न कहिए किसी से , समझ जाइएगा,
जो शक्ति मिले तो न इतराइएगा।
सही जो नहीं है, तुम उसे बदल डालो,
न जी को जला जान,सांसत में डालो।
सके जो न बदल ,खुद बदल जाइएगा,
जो शक्ति मिले तो न इतराइएगा।