पलों को संदली बनादे, ऐसी नयी ग़ज़ल कहा कीजे... पलों को संदली बनादे, ऐसी नयी ग़ज़ल कहा कीजे...
अपने घर आप खुदा हैं तो बने रहिये, तसव्वुर में ही सही, कोई ख़याल बनाए रहिये। अपने घर आप खुदा हैं तो बने रहिये, तसव्वुर में ही सही, कोई ख़याल बनाए रहिये।
एक अनसुलझे धागों की तरह है ये ज़िंदगी एक अनसुलझे धागों की तरह है ये ज़िंदगी
नया विश्वास लिए इक दिन हर दूरी तय हो जाती है मंजिल मिल ही जाती है। नया विश्वास लिए इक दिन हर दूरी तय हो जाती है मंजिल मिल ही जाती है।
भाई मेरे अपने माता-पिता की शरण तुम जाइए , भाव बिगड़े सब सुधर जाएंगे भाई मेरे अपने माता-पिता की शरण तुम जाइए , भाव बिगड़े सब सुधर जाएंगे
न सदा दिन रहा है,न सदा रात रहेगी मेघों को बरसने दो ये नदी फिर बहेगी न सदा दिन रहा है,न सदा रात रहेगी मेघों को बरसने दो ये नदी फिर बहेगी